सुरक्षा का किया गया खास इंतजाम, बायोमैट्रिक पास के द्वारा होगी सांसदों सहित सभी की एंट्री, यानि कि आपकी उंगलियों और आँखों की पहचान के आधार पर ही मिलेगा संसद भवन में प्रवेश।
लोकसभा, राज्यसभा, हाई क्वालिटी ऑडियो, वीडियो और हर एक डेस्क पर इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स का हुआ इस्तेमाल, सभी सांसदों की डेस्क पर लगा है मल्टिमीडिया डिस्प्ले, पूरी तरह डिजिटल होने के बाद भी नए संसद भवन में बिजली की खपत 30% तक होगी कम।
नए संसद भवन में लोकसभा और राज्यसभा के फ्लोर को राष्ट्रीय पक्षी मोर की थीम पर डिजाइन किया गया है, दीवारों पर भी खास तरह की आकृतियों का उपयोग हुआ है।
नए संसद भवन में मिनिस्टर्स लाउंज, सांसदों के लिए लाउंज, वीआईपी लाउंज, मीडिया लाउंज, कमेटी हॉल, लाइब्रेरी, कैंटीन और पार्किंग की सुविधा भी उपलब्ध है और सुरक्षा के लिहाज से यह बिल्डिंग भूकंप रोधी है।
पुराने संसद के मुकाबले नए संसद भवन में सीटों की संख्या अधिक है, लोकसभा में 888 सीटें और राज्य सभा में 384 सीटें है, संयुक्त सभा में एक साथ 1272 सांसद बैठ सकते हैं।
भवन के निर्माण में लगभग 1000 लोगों ने 8-8 घंटे की तीन शिफ्ट में 24 घंटे काम किया था, आकड़ों की मानें तो 60,000 श्रमयोगियों ने भवन को भव्य बनाने में योगदान दिया।
सस्टेनेबिलिटी और ग्रीन एनर्जी (प्राकृतिक ऊर्जाओं) पर चलेगी न्यू पार्लियामेंट बिल्डिंग। नया संसद भवन आधुनिक भारत की विविधता को प्रतिबिंबित करेगा।
नए संसद भवन में एक संविधान हॉल होगा, जहां देश के मूल संविधान को रखा जायेगा, जो अभी संसद की पुरानी बिल्डिंग में है।
आधुनिक समय और जरुरतों के हिसाब से न सिर्फ स्ट्रक्चर को बदला गया बल्कि कोशिश यह है कि पुरे फंक्शन को परिवर्तित किया जाये ताकि सांसद और संसद अच्छी तरह से काम कर सकें।
संसद के सुरक्षा कर्मियों की ड्रेस में बदलाव किया जाएगा, मिलिट्री मैन के अंदाज़ में दिखेंगे सुरक्षाकर्मी, लोकसभा और राज्यसभा के अंदर उपस्थित मार्शल्स की ड्रेस पारंपरिक अंदाज में होगी।
ऐतिहासिक राजदंड सेंगोल जो अभी इलाहबाद के एक संग्रालय में है, जिसको नए संसद भवन में रखा जायेगा ।
दरअसल, सेंगोल को 14 अगस्त 1947 में पूर्व प्रधानमंत्री नेहरू जी ने तमिलनाडु के अधिनियम द्वारा स्वीकार किया था, जिसका इस्तेमाल सत्ता हस्तांतरण के लिए किया गया था।